पाँच सौ वर्ष से पुराने हैं ब्रज बुन्देलखण्ड के सम्बन्ध : पंडित हरिविष्णु अवस्थी
ब्रज संस्कृति शोध संस्थान , वृन्दावन में पोथी निधि श्रृंखला के अंतर्गत अभिलेखीय सामग्री पर केन्द्रित व्याख्यान 24 सितम्बर 2012, सोमवार को मध्याह्नोत्तर 3 बजे किया गया । कार्यक्रम में श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद , टीकमगढ़,मध्य प्रदेश के अध्यक्ष पण्डित हरिविष्णु अवस्थी जी ने बुन्देलखण्ड के ब्रज परक अभिलेख और पाण्डुलिपियाँ विषयक व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजकीय संग्रहालय , मथुरा के वरिष्ठ पुरातत्वविद श्री रुद्रकिशोर पाण्डेय ने की।
व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए पंडित हरिविष्णु अवस्थी जी ने कहा की आज से पांच सौ वर्ष पूर्व हरिराम व्यास एवं बुंदेला रजा मधुकर शाह द्वारा ब्रज और बुंदेलखंड के मध्य सांस्कृतिक संबंधों की नीँव राखी गयी कालांतर में वे और अधिक होते गए जिसके प्रभाव स्वरुप दतिया स्टेट को जहां म . प्र का वृन्दावन कहा जाने लगा वहीँ वृन्दावन का एक मोहल्ला ही बागबुन्देला के नाम से लोकप्रिय हुआ। श्री अवस्थी जी ने बुन्देलखण्ड में बिखरे पडे ब्रज सम्बन्धी दस्तावेज़ , शिलालेख एवं ऐतिहासिक पाण्डुलिपियों का विवरण देते हुए कहा की ब्रज में बुन्देलखण्ड की रियासतों के मंदिर एवं प्राचीन कुञ्ज दोनों संस्कृतियों के मध्य परस्पर सांस्कृतिक सम्बन्धों का बोध कराने वाले हैं ।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ रुद्रकिशोरे पाण्डेय ने कहा कि दस्तावेज़, शिलालेख एवं अभिलेखों का अध्ययन इतिहास लेखन का वस्तुनिष्ठ स्रोत है। लेकिन दुर्भाग्यवश ब्रज के इतिहास लेखन में यह महत्वपूर्ण पक्ष अब तक उपेक्षित ही रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रज संस्कृति शोध संसथान द्वारा ब्रज के बहा बिखरे पडे ब्रज सम्बन्धी ऐतिहासिक दस्तावेजों एवं पाण्डुलिपियों पर केन्द्रित यह व्याख्यान ब्रज के इतिहास को एक नयी दिशा प्रदान करेगा।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री गणेश जी के चित्रपट पर माल्यार्पण से हुआ। सञ्चालन संसथान के सचिव श्री लक्ष्मीनारायण तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ जयेश खण्डेलवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर जगदीश शर्मा गुरु परमानन्द गुप्त, सुरेश शर्मा, तोताराम उपाध्याय, विष्णुमोहन नागार्च, विजयवाल्लभ गोस्वामी, शरदजी, प्रेमदत्त मैथिल, मदनमोहन गोस्वामी, स्वामी नवलमधुरि शरण, कुमुद घोष , देवकीनन्दन गोस्वामी, मधुमंगल शुक्ला सहित अनेक लोग उपस्थित थे।