Monday 26 March 2012


ब्रज  क्षेत्र में रचा गया रसोपसना साहित्य अद्वितीय है| इसके संपादन, प्रकाशन, एवं अनुसन्धान में आज लोगों की रूचि दिखाई नहीं देती। डॉ. हितजस अलिशरण ने रस्भक्ति धारा के वाणी साहित्य की सतत सेवा कर शोधार्थियों एवं जिज्ञासु साधको के लिए अध्ययन का  एक नवमार्ग प्रशस्त किया है। साहित्य के प्रति उनका समर्पण तथा इस समर्पण के प्रति यथोचित सम्मान के लिए हितजस अलिशरण तथा ब्रज  संस्कृति शोध संस्थान धन्यवाद् के पत्र हैं। यह विचार राधा वल्लभ सम्प्रदायाचार्य गोस्वामी श्री हितराधेश लाल जी महाराज ने ब्रज संस्कृति शोध संस्थान द्वारा पोथी निधि श्रंखला के अंतर्गत आयोजित ब्रज निधि सम्मान समारोह के अवसर पर व्यक्त किये।
हिंदी भक्ति काव्य में रस भक्ति धरा का योगदान विषयक संघोष्टी के दौरान मुख्य अतिथि पद से महाराजश्री ने कहा आज युवाओं को वाणी ग्रंथीं में निहित ज्ञान को समझना चाहिए जिससे वे अपनी संस्कृती  की व्यापकता  को समझ सकें।
कार्यक्रम के अंतर्गत संयाजक आचार्य विष्णु मोहन नागार्च  ने उपस्थित जनों का माल्यार्पण कर एवं उत्तरी उढ़ाकर अभिनन्दन किया। कार्यक्रम के अंतर्गत गोस्वामी हित राधेश्लाल जी महाराज द्वारा वाणी सेवी हितजस अलिशरण को ग्यारह हजार रुपये का चेक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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