Saturday 25 March 2017

प्राचीन मथुरा की खोज - 4

प्राचीन मथुरा की खोज - 4
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जब हम प्राचीन मथुरा के पुरातात्त्विक साक्ष्यों की बात कर रहे हैं,तब मैं आप का ध्यान एक अत्यंत महत्वपूर्ण
पुरातात्त्विक साक्ष्य की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ जिस की ओर अभी तक अध्येताओं और विद्वानों ने पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। भारत के सबसे प्राचीनतम सिक्के चाँदी के 'आहत '( पंच मार्क )सिक्के माने जाते हैं,जो प्रायः छठी -पाँच वीं शताब्दी ईसा पूर्व प्रचलन में थे।इन सिक्कों में से कुछ में विशिष्ट चिह्नों के आधार पर प्रसिद्ध मुद्राविद् श्रीपरमेश्वरी लाल गुप्त ने यह निर्धारित किया कि यह सिक्के मथुरा ( शूरसेन जनपद ) ने प्रचलित किये थे जिन्हें हम आज मथुरा के प्राचीनतम मुद्रा मान सकते हैं, क्योंकि इस प्रकार के चिन्ह वाले सिक्कों की निधियां केवल मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्रों से ही प्राप्त हुईं हैं।
सौंख के एक टीले से भी इस प्रकार के सिक्कों की निधि प्राप्त हुई थी जिसके कुछ सिक्के राजकीय संग्रहालय,मथुरा के संग्रह में हैं ।इस क्षेत्र के अतिरिक्त यह सिक्के उज्जयिनी और पद्मावती के आसपास भी पाए गए हैं।इस प्रकार के 22 सिक्के ब्रिटिश संग्रहालय में भी हैं जहां वे कनिंगहम और ह्वाइटहेड के संग्रहों से प्राप्त हुए हैं।उनमें से एक का प्राप्ति स्थान मथुरा अंकित है।ग्वालियर संग्रहालय में भी इस तरह के चार सिक्के हैं,जो संभवतः प्राचीन पद्मावती से मिले थे।
मुझे भी मथुरा के श्रीदिनेश सोनी ने इस प्रकार का एक सिक्का भेंट किया था,जो अब ॿज संस्कृति शोध संस्थान,
वृन्दावन में संरक्षित है।
यह सिक्के मथुरा की पाँच वीं छठी शताब्दी ईसा पूर्व में निरन्तर तीव्र होतीं आर्थिक गतिविधियों की ओर संकेत करते हैं और तत्कालीन भारत में मथुरा के राजनैतिक प्रभुत्व को भी प्रदर्शित करते हैं। उज्जयिनी और पद्मावती में यह सिक्के निश्चित ही व्यापारियों के माध्यम से पहुंचे होंगे।आज आवश्यकता है कि सर्वेक्षण कर ऐसे स्थानों का सूचीकरण किया जाए जहाँ से इस प्रकार के सिक्के प्राप्त हुए हैं।तब हम प्राचीन मथुरा से चलने वाली व्यापारिक गतिविधियों को और अधिक व्यापक स्तर पर समझ सकेंगे।

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